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अध्यात्म योग केन्द्र और आई ओ आई सी के संयुक्त रूप से प्रस्तुत करते है मन और तन दोनों को समझने चार दिवसीय *आत्मनिरीक्षण सह-योगासन शिविर* 2 दिसंबर रात्रि से 6 दिसंबर दोपहर तक (event will be conducted by Shri Manohar Dubey rtd IAS and renowned yoga guru Dr Jamuna Prasad Mishra) साथ ही आनंद लीजिए खजुराहो के विश्व मंदिर और पन्ना नेशनल पार्क और अन्य रमणीक स्थलों का #यह शिविर हिन्दी में संचालित होगा।# शिविर स्थल होटल यूरोस्टार इन खजुराहो म प्र भोजन (ब्रेक फास्ट एवं लंच) ठहरने का शुल्क रु 3500 प्रति व्यक्ति डबल आकूपेंसी अतिरिक्त चार्ज पर जगह उपलब्ध होने पर सिंगल आकूपेंसी रूम मिल सकेगा। भ्रमण की व्यवस्था स्वयं करना होगा। भुगतान करने पर डिनर उपलब्ध कराया जाएगा। कार्यक्रम की रूप रेखा दिसंबर 2 रात्रि 8:00 बजे से 9:00 बजे तक परिचय सत्र *Day 1 December 3* मौन क्या है मौन संवाद क्या है जीवन का हिसाब संबंध *Day 2 December 4* जानकारी और जागरूकता Knowlede and Awarness समाज और प्रकृति Society and Nature स्वयं की पहचान Personal Identity ( यह एक महत्वपूर्ण सत्र होगा इस सत्र में हम जानेंगे कि हमारा अंतर्मन अंदर और बाहर क्या होता है आखिर हम दुखी और सुखी कैसे होते हैं इत्यादि) जानकारी की मनुष्य के सांस्कृतिक विकास में भूमिका Role of knowledge in cultural development of man परिवर्तन : सुनना और सीखना Change: listening and learning Day 3 December 5 जिम्मेदारी प्रेम और ईर्ष्या सुख दुख दर्द आनंद डर और चिंता मृत्यु मोक्ष सफलता *Day 4 December 6* पन्ना राष्ट्रीय पार्क का भ्रमण *दैनिक कार्यक्रम* प्रतिदिन सुबह 6:30 पर योग और प्राणायाम के साथ प्रारंभ हो कर 2:00 बजे से 2:15 बजे तक समाप्त होगा होगा। इसके पश्चात लंच के बाद प्रतिभागी साइट सीईंग पर जा सकेंगे। रात्रि 8:00 से 9:00 के मध्य योगाचार्य पंडित डॉ जमुना प्रसाद जी मिश्रा विभिन्न योगासनों और प्राणायाम पर विस्तार से मानव शरीर और मष्तिष्क पर पड़ने वाले प्रभाव पर चर्चा करेंगे। शर्ते लागू पंजीयन हेतु लिंक https://ioic.in/english/programmes-1.php अन्य महत्वपूर्ण लिंक Initiation of Innerchange Center www.ioic.in Adyatam Yoga by Dr Mishra http://www.adhyatmyoga.org/ Eurostar Inn Khajuraho http://www.eurostarinn.com/khajuraho/
आज का हमारा युवक अनेक प्रकार के दबावों से गुजर रहा है । वह ऐसे संक्रमण काल में है जहां उसके माता-पिता और उसके मध्य सोच में एक व्यापक अंतर है। वह इंटरनेट और गूगल के जमाने का व्यक्ति है और उसके पास जानकारियों का अथाह भंडार है जबकि उसके माता-पिता बहुत ही सीमित जानकारियों के आधार पर विकसित हुए हैं । जानकारी का यह अंतर दोनों के मूल स्वरूप में ही अंतर पैदा कर देता है इसके पूर्व दो जनरेशन के बीच में इतना व्यापक अंतर नहीं होता था। इस स्थिति में स्वयं का अवलोकन कर अपना मार्ग निर्धारण की क्षमता विकसित करना अत्यंत आवश्यक है। अलग अलग मानसिक धारणाओं को समझना आवश्यक है। दो अलग-अलग विचारों को अच्छा या बुरा साबित करने के अलग-अलग स्वीकार करना समझना अत्यंत आवश्यक है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य है कि हमारी युवा पीढ़ी इस झंझावात से दूर होकर अपना मार्ग निर्धारित कर सके। यह कार्यक्रम हमें हमारे होने(being) की समझ विकसित करेगा। साथ ही विभिन्न विचारधाराओं से सामंजस्य स्थापित करने की शक्ति प्रदान करेगा। हम आपसी संबंधों, चिंताओं और जीवन के गणित को समझेंगे और इसके आधार पर अपना मार्ग प्रशस्त करेंगे। यह कार्यक्रम, आपको अपनी क्षमताओं को पहचान कर उसके अनुरूप परिणाम पाने में सहायक होगा। यह कार्यक्रम क्षमताओं पर पड़ने समस्त बंधनों और बाधाओं को पहचान कर अलग करने में भी सहायक होगा ताकि आप अपनी पूर्ण क्षमता प्राप्त कर सकें। कार्यक्रम में पंजीयन के लिए कृपया लिंक करें https://ioic.in/english/programmes-2.php
स्वावलोकन का हमारा 36 वा सत्र 5 से 9 एवं 11 जुलाई को संपन्न हुआ सत्र में भाग लेने वाले सह्यात्रियीं ने 11 जुलाई को अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि बीके तिवारी जी बीके तिवारी जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हम दूसरी चीजों का हिसाब किताब बहुत लगाते हैं पर अपने जीवन का हिसाब किताब नहीं लगाते हैं। इस सत्र से जुड़कर मैंने अपने जीवन के हिसाब किताब को देखा तो मैं समझ पाया कि मैं हमेशा दूसरों से पाने इच्छा रखता था, उन्होंने यह नहीं किया इन्होंने वह नहीं दिया एक लंबे मौन के बाद में मुझे समझ में आया और मैंने इस कमी को दूर किया। मैंने लंबे अरसे से किसी से बात भी नहीं की और जब भी किसी से बात करता था तो मैं उनकी बातें कम सुनता था, पर अपनी बातें ज्यादा बताता था। इस सत्र के बाद मुझमें धैर्य आया | इस सत्र के बाद मैं अब दूसरों की बातों को शांतिपूर्ण होकर सुनता हूं, और फिर अपनी बातें रखता हूं। साथी मेरे दृष्टिकोण में भी परिवर्तन आया जागरूकता को लेकर हां मैं जागरूक हुआ हूं| मेरा प्रकृति से बहुत गहरा लगाव है लगभग लगभग मुझे इस कॉलेज में 27 साल हो चुके हैं| इन 27 सालों में मैंने लगभग 4000 पौधे लगाए हैं| परिवार के प्रति भी में जागरूक हुआ चिंताओं में कोई कमी तो नहीं आई है हां पर चिंतन के दृष्टिकोण मेरा परिवर्तन हुआ है। अभी कुछ दिन पहले हमारी संस्था में एक बच्चे ने मेरे साथ एक प्रोजेक्ट करने का प्रस्ताव रखा मैंने उसे मना कर दिया था परन्तु मेरे किसी परिचित साथी ने निवेदन किया तो मैंने उस बच्चे को परमिशन दी कि हां आप मेरे अंडर प्रोजेक्ट बना सकते हैं| जब उस बच्चे ने प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर ली, मैंने उससे कहा की दिखाओ तुम्हारी प्रोजेक्ट रिपोर्ट। प्रोजेक्ट रिपोर्ट देखने के दौरान यह पता चला की इसने बहुत सारी चीजों को कहीं से कॉपी किया है और साथ ही मेरे दस्तखत को भी कॉपी(स्कैन) करके ऑनलाइन प्रोजेक्ट सम्मिट कर दिया| यह जानकर मुझे बड़ी तकलीफ हुई, गुस्सा भी आया पर कुछ देर मौन रहा और कार्यक्रम में कही बात मुझे याद आई कि किसी से कोई गलती हो जाए, तो उसे क्षमा कर देना चाहिए| मुझे मौन के दौरान यह भी एहसास हुआ की अगर मैं इस बच्चे को माफ नहीं करूंगा तो इसका कैरियर खराब हो जाएगा और फिर मैंने उस बच्चे को शांतिपूर्वक सारी बातें समझाई और क्षमा किया| अगर मैं स्वावलोकन कार्यक्रम से नहीं जुड़ा होता और यह घटना होती तो मैं उस बच्चे को सजा जरूर देता। बाद में उस बच्चे ने मुझ से माफी मांगी कि सर मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है स्वावलोकन से जुड़कर मैंने माफ करना भी सीखा। महेंद्र खुराना जी महेंद्र खुराना जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हमारा अपने आप से मौन संवाद करना बहुत प्रभावी है और निश्चित रूप से मौन संवाद की ताकत ने, मेरे नजरिए में बदलाव करने में मदद की है। मौन रह कर मैंने अपने रिश्तो को देखा तो मुझे अपने दोस्तों को रिश्ते दूर नजर आए इसका एक कारण यह है कहीं न कहीं मेरा अहम आड़े आ जाता है, जिससे मैं उन लोगों से संवाद नहीं कर पाता हूं| सभी लोगो को लगता है कि मैं ईगोस्टिक हूं इसलिए मैंने आगे बढ़ कर संवाद की शुरुआत की| यह निर्णय लेना पहले मेरे लिए बहुत कठिन था पर जब मैं पिछले 5 दिनों से इस सत्र से जुड़ा हूं लगातार मुझे मोटिवेशन मिलता रहा मौन संवाद करता रहा स्वयं से तो मुझे हिम्मत मिली और एहसास हुआ यह आसान लगा, आगे बढ़कर संवाद करने से बहुत सकारात्मक परिणाम मिले जिन मित्रों से में पिछले 20 वर्षों से बात नहीं कर रहा था, उनसे बात करना प्रारंभ किया आज मैं बहुत खुशी महसूस कर रहा हूं । मैंने अपने जीवन रूपी गिलास को मौन के दौरान देख पाया तो मुझे दिखा कि मुझ में बहुत सारी अच्छाइयां वह कमियां है अपनी कमियों पर चिंतन मनन कर रहा हूं| समय पर कार्य पूर्ण न करने की एक कमी है, जिसे दूर करने का प्रयास शुरु कर चुका हूं| इस कार्यक्रम से मुझे यह प्रेरणा मिली है कि हम हर समय जागरूक होकर किसी कार्य को करेंगे तो वह कार्य समय पर पूर्ण होगा । इस कार्यक्रम से जुड़ने से मेरे दृष्टिकोण में परिवर्तन हुआ है। नीलम कपूर जी नीलम कपूर जी ने अपनी बातें रखते हुए कहा की जब से हम पैदा हुए हैं इस धरती पर हम रिश्तो से जुड़े हुए हैं| आस-पड़ोस जहां हम काम करते हैं वहां सब लोगों से अच्छे रिश्ते होना चाहिए, पर ऐसा न हो कर हमारे रिश्ते अच्छे नहीं होते हैं और उसमें 75 प्रतिशत हमारी कमी होती है। अगर हमारे रिश्तो को हमें ठीक करना है तो हमारे अहम को दूर रखना होगा, जब मेरे बेटे की शादी हो रही थी तो उस समय में यह सोच रही थी जो हमारे घर में एक नया सदस्य आ रहा है उसे किसी भी प्रकार का कोई कष्ट नहीं होना चाहिए इसलिए मैंने अपने स्वयं के अंदर से पांच चीजों को दूर कर दिया था क्या, क्यों, कब, कहाँ, कितना और कैसा| मैंने अपने बहु से कभी नहीं बोला क्यों जा रहे हो कहां जा रहे हो क्या कर रहे हो कब कर रहे हो| ये मैने सब छोड़ दिया और जैसे मेरी बेटी घर में रहती थी मैंने वैसे ही अपनी बहू से व्यवहार किया| मेरे इस परिवर्तन के कारण मुझे कभी फील नहीं हुआ कि घर में कोई तनाव है या कोई मनमुटाव है| हमारे घर में एक पूजा होती है जिसमें बेटी के पैर धोये जाते हैं हमने हमारे घर में आई बेटी के पैर भी उसी प्रकार धोये, अगर घर में तनाव है तो हम कभी खुश नहीं रह सकते खुशी और कहीं नहीं हमारे अंदर ही है। हमारे स्कूल की एक घटना है एक दिन प्रार्थना के दौरान मैंने महसूस किया कि जो शिक्षक हमेशा प्रार्थना में उपस्थित होती है वह आज नजर नहीं आ रही तो मुझे कुछ खटक ने लगा मैं ने स्टाफ रूम में जाकर देखा तो वह शिक्षिका अपनी चेयर पर बेहोश की हालत में थी मैंने तुरंत सभी को आवाज लगाई लगाई और हम हम शिक्षिका को तुरंत हॉस्पिटल लेकर गए वहां जाकर पता चला कि उनके मस्तिष्क में रक्त का थक्का जमा हुआ था सही समय पर इलाज मिलने से उनकी जान बच गई उनके परिवार ने बच्चों ने हमारे पूरे स्टाफ को बहुत-बहुत धन्यवाद किया मैंने उनको कहा धन्यवाद की कोई बात ही नहीं है यह तो हमारा कर्तव्य हैं। बस हम एक दूसरे का हमेशा ख्याल रखें| कविता जी कविता जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि मैंने जब मौन के दौरान अपने जीवन के हिसाब किताब को देखा तो महसूस हुआ कि हमें मिला बहुत कुछ है पर उसके बदले हमने रिटर्न बहुत कम किया है| अब मैं आगे से मदद ज्यादा करने की प्रयास करूंगी मैंने इसकी एक सूची भी बनाई की मुझे कैसे कैसे रिटर्न करना है। मुझसे कोई गलती होती है तो मैं माफी मांग लेती हूं कई जगह पर मेरी गलती नहीं होती है पर मुझे एहसास होता है कि यहां माफी मांगने से सब कुछ ठीक हो जाएगा तो मैं वहां पर भी माफी मांग लेती हूं| जहां तक किसी को माफ करने की बात है, हां मैंने उस में देरी की है पर इन 5 दिनों के सत्र से जुड़ने से किसी को माफ करना उसको मैंने बढ़ाया और किसी को “एज इट इज स्वीकार करना” मैंने सत्र के दौरान समझा। हम जब भी अपने विचार रखते हैं या अपनी बातें रखते हैं तो उसमें क्या करना चाहिए का परसेंटेज ज्यादा होता है पर स्वयं क्या कर रहे हैं उस पर बातें नहीं करते और मैं इस बात को ज्यादा पसंद करती हूँ कि हम क्या करेंगे। मैंने जीवन रूपी गिलास में देखा तो हम अक्सर अपनी अच्छाइयों को ही देखते हैं और हमें हमारी कमिया भी दिखाई देती है परन्तु हम उनको दरकिनार कर देते हैं, लेकिन स्वावलोकन से मैं संकल्पित हो पाई कि अपनी कमियों को कम करूंगी । संजय जी संजय जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि इस कार्यक्रम में मुझे सम्मिलित करवाने के लिए मैं पी आर तिवारी सर का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं। हम दूसरों पर उंगली उठाने से पहले हम स्वयं में नहीं देखते कि हम में कितनी कमियां हैं क्या कार्यक्रम सुबह का होने के कारण मेरी सुबह की दिनचर्या डिस्टर्ब हो गई थी इसलिए मैंने प्रथम दिवस कार्यक्रम ज्वाइन नहीं किया पर दूसरे दिन इस कार्यक्रम से जुड़ा और अच्छा लगा लगातार 4 दिन इस कार्यक्रम को अटेंड किया और इन 4 दिनों में एक बात का एहसास हुआ की हम में धैर्य की कमी होती है| हम किसी के भी तरफ आसानी से उंगली उठा देते हैं पर तीन उंगली हमारे तरफ भी होती है यह हमें पता होता है परन्तु हम उसे दरकिनार कर देते है। स्वावलोकन कार्यक्रम से यह महसूस कर पाया कि हमेशा सामने वाले में ही गलती नहीं होती है, कभी-कभी हम से भी गलती होती है जहां तक की माफी मांगने की बात है उसे कोई भी माफी मांगे या ना मांगे मेरा व्यवहार हमेशा उसके साथ वैसा ही रहता है और अगर मुझसे कोई गलती होती है या मेरे द्वारा किसी को कठोर शब्द बोलने से तकलीफ होती है तो मैं तुरंत माफी मांग लेता हू। इस सत्र से जुड़ने के बाद मुझ में परिवर्तन हुआ है। मैं प्राचार्य हूं और जब मैं किसी को कोई कार्य देता था वह उस कार्य को अपनी अकल लगाकर कर देते थे मैंने जैसा कहा वैसा नहीं करते हैं तो मुझे प्रतिक्रिया करता था पर जब मैं इस कार्यक्रम से जुड़ा और स्वयं का अवलोकन किया और मैं समझ पाया कि मैं अपनी बातों को सबके ऊपर थोप नहीं सकता। इस सफर के दौरान यह भी समझ आया कि हमें वर्तमान में जीना चाहिए और चिंताओं पर चिंतित न होकर उसका समाधान करना चाहिए। मेरा हेल्पिंग नेचर है मेरे पास कोई भी अपनी समस्या लेकर आता है तो मैं उससे सुलझाता हूं और बुराई यह है कि मैं बहुत जल्दी इरिटेट हो जाता हूं पेसंस नहीं है और मैं जैसा काम चाहता हूं वैसा ही मेरा पूरा स्टाफ काम करे में इस कमी को दूर करने का प्रयास करूंगा। राकेश यादव जी राकेश यादव जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि मौन के दौरान मैंने महसूस किया कि अगर हम 10 मिनट भी मौन रहते हैं तो हमें अपनी कमियां दिखाई देने लगती है| मैंने अपनी एक कमी देखी ही की मैं अपने कार्य को समय पर नहीं कर पाता हूं चाहे वह कितना अच्छा कार्य भी किया हो| अब मैं अपनी इस कमी को दूर करुगा मैंने अपने जीवन रूपी ग्लास में देखा अच्छाइयां तो आसानी से दिख जाती है पर कमियों को देखना आसान नहीं है मौन रहकर स्वयं का अवलोकन किया तो अपनी कमी को देख पाया और उनको दूर कर पाया। अनीता सागर जी अनीता सागर जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि इस सत्र के दौरान मैंने अपनी कमियों को दूर करने का प्रयास किया जैसे कि कभी-कभी मेरे स्टाफ के साथ में कठोर शब्दों का इस्तेमाल कर देती थी क्योंकि काम का समय पर न होना या काम का गलत होना इन सब बातों से मुझे बहुत क्रोध आता था| स्वावलोकन कार्यक्रम से जुड़ने के पश्चात मैंने अपने क्रोध पर काफी हद तक नियंत्रण किया और इसके अलावा मेरी एक सगी बहन से मेरे संबंध अच्छे नहीं थे क्योंकि मुझे उसका नेचर पसंद नहीं आता था मैंने इस सत्र के दौरान महसूस किया कुछ कमियां मुझमें भी है उस रिश्ते को ठीक करने के लिए इस सत्र ने मेरी काफी मदद की है| मैंने अपनी चिंताओं का समाधान भी सत्र के दौरान ढूंढा है। हां मैं जागरूक भी हुई हूं । ज्ञानवर्धन जी ज्ञानवर्धन जी ने कहा कि हम दूसरों को सुधारने की बहुत बातें करते हैं पर हम स्वयं आनंद में होंगे तो दूसरों को भी आनंदित कर पाएंगे| मैं जब भी किसी स्टाफ को कोई कार्य देता हूं और वह कार्य समय पर नहीं कर पाते तो मैं उनको गुस्से में डांट देता हूं| उस दिन मेरा पूरा फोकस उसी स्टॉफ पर हो जाता है और मैं अपने कार्यों पर भी ध्यान नहीं दे पाता हूं| जब मैं मौन रहा तो मुझे एहसास हुआ की अगर किसी से कोई काम समय पर नहीं हो रहा है तो उससे मैं पहले बात करूं उनकी समस्या को समझू की वे काम समय पर क्यों नही कर पाए। इस कार्यक्रम से जब मैं पहले दिन जुड़ा तो मुझे अच्छा नहीं लगा पर पर जब मैं लगातार इस कार्यक्रम से जुड़ता रहा तो मुझे समझ में आने लगा यह कार्यक्रम हमारे लिए बहुत जरूरी है। 38 वें सत्र में पंजीयन के लिए नीचे लिखित लिंक क्लिक करें https://ioic.in//english/programmes-2.php
आई ओ आई सी स्वावलोकन के 36 आनलाइन सत्र सफलतापूर्वक आयोजन के पश्चात 6 अगस्त से 8 अगस्त तक शिवपुरी में लगभग 2 वर्ष के अंतराल के पश्चात अपने अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यक्रम आत्म निरीक्षण का आयोजन कर रही है। हम अपने कार्यक्रम के दौरान आपको किसी भी धारणा या सिद्धांत या मान्यता या विचारधारा स्वीकार करने या मनवाने का कोई आग्रह या प्रयास नहीं करेंगे। आप अपने अनुभव के आधार पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होंगे। इस सम्पूर्ण कार्यक्रम में श्री मनोहर दुबे सेवानिवृत्त आई ए एस हमारे सहयोगी होंगे। सत्र के दौरान श्री दुबे इस संबंध में अपने गहन अनुभव हमारे साथ साझा करेंगे और उन पर मौन संवाद किया जाएगा अर्थात श्री दुबे हमारे समक्ष अपने अवलोकन साझा करने के साथ कुछ प्रश्न प्रस्तुत करेंगे। इन प्रश्न पर हम सब मौन रहकर अन्वेषण (enquiry) करेंगे और अपने अवलोकन के आधार पर विमर्श करेंगे। इस कार्यक्रम में शामिल हमारे पूर्व मित्रों के अनुभव उनके लिए एन्लाइटनिंग एवं दैनिक जीवन में उपयोगी रहे हैं। कार्यक्रम 6 अगस्त 2021 को 2:00 बजे से प्रारंभ होगा, यदि आप प्रथम सत्र शामिल नहीं हो पाएंगे तब आप कार्यक्रम की संपूर्णता से अनभिज्ञ रहेंगे अतः अनुरोध है कि 6 अगस्त को प्रातः या अधिकतम दोपहर 12:00 बजे के पूर्व शिवपुरी पहुंच जाएं। 17 तारीख को सत्र 8 अगस्त को दोपहर 1:30 पर समाप्त हो जाएगा आप उसके पश्चात शिवपुरी से प्रस्थान कर सकेंगे। सत्र इंटेंसिव एवं इन्ट्रेक्टिव रहेगा। कार्यक्रम की व्यवस्थाओं की जानकारी के लिए प्रोफ़ेसर डॉ अनीता जैन, शासकीय कन्या महाविद्यालय शिवपुरी से उनके मोबाइल 9425710428 एवं श्री पवन परिहार से उनके मोबाइल 7879735511 पर संपर्क कर सकते हैं।भोजन एवं आवास व्यवस्था हेतु सहयोग राशि रु 3500 प्रति व्यक्ति देय है। कार्यक्रम को विस्तार से जानने कृप्या हमारी फेसबुक पोस्ट का देखें https://fb.me/e/3U5achwTv कार्यक्रम में भाग लेने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक कर पंजीयन कराएं https://ioic.in/english/programmes-1.php
इनीशिएशन आफ इनर चेंज सेंटर के 6 दिवसीय स्वावलोकन कार्यक्रम के समापन पर 10 मई 2021 को प्रतिभागियों ने अपने अपने अनुभव साझा किए। देवास से प्रोफेसर समोरा नईम, शिवपुरी से प्रोफेसर अनीता जैन दमोह से प्राचार्य रमेश कुमार व्यास एवं श्रीमती उषा व्यास छतरपुर से प्राचार्य लखनलाल असाटी एवं श्रीमती आशाअसाटी, कटनी से व्याख्याता राजेंद्र कुमार असाटी, निधि चतुर्वेदी मनीष सोनी, देवास से पवन परिहार, दिल्ली से श्रीमती ज्योत्सना सूद, इंदौर से श्रीमती सुषमा दास, उज्जैन से श्रीमती प्रभा बैरागी, मुरैना से श्री सुधीर आचार्य ग्वालियर से गजेंद्र सरकार आदि द्वारा विभिन्न सत्रों का संचालन किया गया प्रतिभागी *मंजू नौटियाल* ने कहा कि उन्हें अभी तक लगता था कि मैंने कोई गलती की ही नहीं तो माफी क्यों मांगू, पर अब इस पर ध्यान देने लगी हूं| जीवन में चिंताओं का रोल कम है क्योंकि उन्हें मैं अपनी ड्यूटी समझती हूं, इस कार्यक्रम से मैं सीख पाई हूं कि मुझमें क्या कमियां हैं और उन्हें कैसे दूर करना है अभी मैं अपने भाई से दिल खोल कर बात नहीं करती हूं पर अब करूंगी रिश्ते सुधारने को लेकर कुछ संशय है कुछ ऐसे भी रिश्ते हैं जो भले ही खराब हैं पर मुझे उनसे कोई दुख नहीं है तो क्यों सुधारूं *प्रोफेसर पीयूष रंजन अग्रवाल* ने कहा कि चाय के पौधे की तरह सबसे ऊपर श्रेष्ठ और सबसे नीचे निम्न अर्थात सर्वोत्तम ज्ञान और अज्ञान के अंतर को समझना होगा, रिक्शा चालक भी हम से अधिक ज्ञानी हो सकता है बाहरी परिवर्तन के लिए भले शोरगुल जरूरी हो पर आंतरिक परिवर्तन मौन से ही आता है *जमुना साहू* ने कहा कि मेरे बड़े भाई से रिश्ते बिगड़े थे और मेरी गलती भी नहीं थी पर मैं आगे बढ़ा और मैंने बड़े भाई से रिश्ता ठीक किया, सत्र के दौरान ही मैंने मम्मी से माफी मांगी है, खुद के चिड़चिड़ापन को दूर करने का प्रयास शुरू कर दिया है, इन 6 दिनों में मेरे जीवन में परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू हो गई है, भविष्य में कोई रिश्ता खराब नहीं होने दूंगा, पूरे सत्र को अपना जरूरी काम छोड़कर भी शांत मन से सुना है अपने मित्रों को इससे जोड़ूगा *डॉक्टर प्रत्यूष त्रिपाठी* ने कहा कि मेरी जागरूकता बढ़ी है मौन संवाद से स्थायित्व का भाव आया है, भविष्य में माफी मांगने का अवसर आया तो मैं उसके लिए भी तैयार हो गया हूं, *सूर्य प्रकाश जायसवाल* ने कहा कि सत्र से मेरी जागरूकता बढ़ी है, कई लोगों को मैंने माफ कर दिया है और कई लोगों से माफी मांग ली. सत्र के दौरान ही किसी की गलती के बावजूद मैं शांत रह गया था और जब मैंने उसे दूसरे दिन प्यार से समझाया तो मेरा संबंध बिगड़ने से बच गया, सोचने का दायरा बड़ा है, नजरिए में बदलाव आया है, हालांकि जब मौन रहता हूं तो अंदर उथल पुथल अधिक रहती है भले ही शब्द नहीं निकलते, लंबे समय बाद मौन रहने का अवसर मिला जिससे मेरी ऊर्जा और शक्ति दोनों बड़ी *नेहा* ने कहा कि पहले दिन से ही मैं बड़ा बदलाव महसूस कर रही हूं अधिक जागरूक हुई हूं धैर्य रखकर समस्या पर अवलोकन करने का गुण सीखा है जीवन में जो भी हो रहा है उससे खुद को जोड़ कर देखने लगी हूं अभी तक मैं फालतू प्रश्नों पर चिंतन करती थी पर सत्र के दौरान दिए गए प्रश्न बड़े महत्वपूर्ण हैं *अपूर्वा भारिल्ल* ने कहा कि पहले दिन लगता था कि टाइम कैसे कटेगा पर आप लोगों ने खुद के जीवंत उदाहरण दिए जिस पर मुझे लगा मैं भी अमल कर सकती हूं, कई चीजों पर सुधार की कोशिश शुरू कर दी है, पूरे 5 दिन अधिक सकारात्मक रही, वर्तमान चिंताओं के बावजूद जिन चिंताओं पर अब मैं कुछ नहीं कर सकती हूं उसे भूल जाने की प्रेरणा मिली *सीमा शिल्पकार* ने कहा कि जीवन के हिसाब किताब में सुधार करने का भाव आया है दृष्टिकोण सकारात्मक करने की कोशिश शुरू कर दी है, कई लोगों को माफ कर दिया है, कई लोगों से माफी मांग ली है, छोटी बहन का दिल बहुत दुखाती थी उससे मानसिक क्षमा याचना कर ली, मेरे स्वभाव में अभी आंशिक बदलाव तो आ गया है पर इसे सतत जारी रखूंगी, अंदर के क्रोध को दूर करूंगी, यह मेरे जीवन का शानदार अनुभव है *नर्मदा पांडे* ने कहा कि सत्र के दौरान ही मैंने अपनी ससुराल से संबंध सुधार लिए, पिछले 4 सालों से मैं अपने साले से बात नहीं कर रहा था पर मैंने उससे बातचीत कर अपने रिश्ते सुधार लिए अब निर्णय लेने के पहले विचार करने लगा हूं *नीलू मांडरे* ने कहा की समस्याओं को समाधान के रूप में देखने का तरीका सीखा, सत्र के दौरान दिए गए प्रश्न जीवन में हमेशा काम आएंगे, अब मैं अपने संबंधों को बिगड़ने नहीं दूंगी, समस्या को समाधान के साथ देखूंगी, सकारात्मक सोच रखूंगी *सुनीता शेंडे* ने कहा कि मैं अपने माता पिता को भगवान मानती हूं, सादा जीवन उच्च विचार के साथ फालतू कामों में नहीं उलझती, सोने के पहले रोज अपने संबंध सुधार लेती हूं, 5 दिन की यात्रा बहुत अच्छी लगी है इस दौरान मैंने अपने भतीजे को फोन लगाया, हम बेहोशी में जीते हैं एक जीवित व्यक्ति के लिए सत्र में दिए गए प्रश्न अत्यंत महत्वपूर्ण है आप लोगों के माध्यम से मेरे नजरिए में बहुत बदलाव आया है *कल्पना खंडेलवाल* ने कहा कि उन्होंने आई ओ आई सी के अनेक सत्रों में सहभागिता की है जिससे उन्हें गहरी प्रेरणा प्राप्त हुई है मैं अपने इन विचारों को जीवन में उतारने की कोशिश कर रही हूं, उसी का परिणाम है कि दिवंगत नंदोई मुझसे बहुत नाराज रहते थे अपशब्द कहते थे पर मैं चुपचाप रहती थी पर वह संसार से जाने के पहले मुझ से माफी मांगना चाहते थे ऐसा उन्होंने अपनी ननद से कहा, मैंने सीखा है शांत रहकर ही माफी मांगी जा सकती है और माफ किया जा सकता है *रवि झा* ने कहा कि मैंने आई ओ आई सी के अनेक सत्र ज्वाइन किए हैं मेरे दोस्त मुझसे कहने लगे हैं कि तुम में बहुत बदलाव आ गया है मैंने अपने बहुत सारे साथियों को इस कार्यक्रम से जोड़ा है और यह इतना अच्छा कार्यक्रम है कि मैं और मेरे साथियों में बहुत सारे परिवर्तन हो रहे हैं सत्र दिल के बहुत करीब है खुद को जानने का मौका मिला है *अनुज गौर* ने कहा कि यह लाइफ चेंजिंग सेमिनार था
स्वावलोकन प्रति माह हम दो सत्र करते हैं। हम अगस्त माह तक के सत्रों की तिथियाॅ घोषित कर चुके हैं। आप अपनी सुविधा अनुसार किसी भी सत्र में भाग ले सकते हैं। सत्र में भाग लेने के लिए पंजीयन करना आवश्यक है, पंजीयन हेतु इसी वेबसाइट के प्रोग्राम मीनू में जाकर self observation को क्लिक कर आप पंजीयन कर सत्र का चयन कर सकते हैं।

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