क्या आप परिवर्तन के लिए तैयार हैं?
संसार में भिन्न-भिन्न अहसास को रखने वाले महानुभाव रहते हैं। एक बड़ा समूह ऐसे महानुभावों का जो अपनी दिनचर्या में व्यस्त हैं और वे संसार की वर्तमान स्थिति के प्रति उदासीन हैं, उन्हें अपने आस-पास घटनाओं से कोई सरोकार नहीं है।
दूसरा समूह अपनी वर्तमान स्थिति से पूर्णतः संतुष्ट है वह अपनी तुलनात्मक बेहतर स्थिति, परिस्थिति एवं समाज में अपने उच्च या प्रभावी स्थान का लाभ उठाकर शानो शौकत का जीवन व्यतीत कर रहा है| वह सतही तौर पर सामाजिक समस्याओं पर अपनी चिंता व्यक्त करता रहता है।
तीसरा समूह अपनी स्थिति से पूर्ण रूप से असंतुष्ट है और वह मसीहा या व्यवस्था परिवर्तन की प्रतीक्षा में है| वह खुद को समस्याओं के निराकरण के लिए अयोग्य मानता है। वह समस्याओं के लिए स्वयं को उत्तरदायी भी नहीं मानता है।
चौथा समूह अपनी विचारधारा, अपने विश्वास, और अपनी धारणाओं पर दृढ़ हैं, अपनी स्थिति से सुखी भी है। यह समूह परिवर्तन की आवश्यकता महसूस नहीं करता है अथवा यह मानता है कि कोई परिवर्तन संभव नहीं है। वह परिवर्तन पर विमर्श के लिए भी तैयार नहीं है।
एक अन्य समूह ऐसा ही है जो बहुत सक्रिय है, वह मानता है कि अनेक समस्याएं हैं| समस्याओं के निराकरण के लिए वह कार्रवाई भी कर रहा है वह मानता है कि बिजली की, पानी की, भ्रष्टाचार की, जलवायु की, भाई भतीजावाद की अनेक समस्याएं हैं| वह इन समस्याओं के प्रति सजग है। वह इन समस्याओं के निराकरण के लिए आंदोलनरत है परंतु वह समस्या के मूल कारण से दूर है, समस्या मानव के मन में है, इस मूल समस्या के लिए वह भी सजग नहीं है| यह समूह समस्याओं के लिए किसी अन्य को दोषी मानता है। साधन तंत्र और व्यवस्थाओं के परिवर्तन में लगा है।
अगला समूह जो छोटा है वह न केवल समस्याओं से चिंतित है और उसमें सुधार के लिए गंभीर भी है| यह समूह परिस्थितियों के लिए स्वयं को उत्तरदायी मानता है और स्वयं में परिवर्तन के लिए तैयार है। तो आप हमारे साथी बन सकते हैं, आइए हमारे मानद सदस्य बनिए।