32वाॅ स्वावलोकन सत्र संपन्न

32वाॅ स्वावलोकन सत्र संपन्न

इनीशिएशन आफ इनर चेंज सेंटर के 6 दिवसीय स्वावलोकन कार्यक्रम के समापन पर 10 मई 2021 को प्रतिभागियों ने अपने अपने अनुभव साझा किए। देवास से प्रोफेसर समोरा नईम, शिवपुरी से प्रोफेसर अनीता जैन दमोह से प्राचार्य रमेश कुमार व्यास एवं श्रीमती उषा व्यास छतरपुर से प्राचार्य लखनलाल असाटी एवं श्रीमती आशाअसाटी, कटनी से व्याख्याता राजेंद्र कुमार असाटी, निधि चतुर्वेदी मनीष सोनी, देवास से पवन परिहार, दिल्ली से श्रीमती ज्योत्सना सूद, इंदौर से श्रीमती सुषमा दास, उज्जैन से श्रीमती प्रभा बैरागी, मुरैना से श्री सुधीर आचार्य ग्वालियर से गजेंद्र सरकार आदि द्वारा विभिन्न सत्रों का संचालन किया गया प्रतिभागी *मंजू नौटियाल* ने कहा कि उन्हें अभी तक लगता था कि मैंने कोई गलती की ही नहीं तो माफी क्यों मांगू, पर अब इस पर ध्यान देने लगी हूं| जीवन में चिंताओं का रोल कम है क्योंकि उन्हें मैं अपनी ड्यूटी समझती हूं, इस कार्यक्रम से मैं सीख पाई हूं कि मुझमें क्या कमियां हैं और उन्हें कैसे दूर करना है अभी मैं अपने भाई से दिल खोल कर बात नहीं करती हूं पर अब करूंगी रिश्ते सुधारने को लेकर कुछ संशय है कुछ ऐसे भी रिश्ते हैं जो भले ही खराब हैं पर मुझे उनसे कोई दुख नहीं है तो क्यों सुधारूं *प्रोफेसर पीयूष रंजन अग्रवाल* ने कहा कि चाय के पौधे की तरह सबसे ऊपर श्रेष्ठ और सबसे नीचे निम्न अर्थात सर्वोत्तम ज्ञान और अज्ञान के अंतर को समझना होगा, रिक्शा चालक भी हम से अधिक ज्ञानी हो सकता है बाहरी परिवर्तन के लिए भले शोरगुल जरूरी हो पर आंतरिक परिवर्तन मौन से ही आता है *जमुना साहू* ने कहा कि मेरे बड़े भाई से रिश्ते बिगड़े थे और मेरी गलती भी नहीं थी पर मैं आगे बढ़ा और मैंने बड़े भाई से रिश्ता ठीक किया, सत्र के दौरान ही मैंने मम्मी से माफी मांगी है, खुद के चिड़चिड़ापन को दूर करने का प्रयास शुरू कर दिया है, इन 6 दिनों में मेरे जीवन में परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू हो गई है, भविष्य में कोई रिश्ता खराब नहीं होने दूंगा, पूरे सत्र को अपना जरूरी काम छोड़कर भी शांत मन से सुना है अपने मित्रों को इससे जोड़ूगा *डॉक्टर प्रत्यूष त्रिपाठी* ने कहा कि मेरी जागरूकता बढ़ी है मौन संवाद से स्थायित्व का भाव आया है, भविष्य में माफी मांगने का अवसर आया तो मैं उसके लिए भी तैयार हो गया हूं, *सूर्य प्रकाश जायसवाल* ने कहा कि सत्र से मेरी जागरूकता बढ़ी है, कई लोगों को मैंने माफ कर दिया है और कई लोगों से माफी मांग ली. सत्र के दौरान ही किसी की गलती के बावजूद मैं शांत रह गया था और जब मैंने उसे दूसरे दिन प्यार से समझाया तो मेरा संबंध बिगड़ने से बच गया, सोचने का दायरा बड़ा है, नजरिए में बदलाव आया है, हालांकि जब मौन रहता हूं तो अंदर उथल पुथल अधिक रहती है भले ही शब्द नहीं निकलते, लंबे समय बाद मौन रहने का अवसर मिला जिससे मेरी ऊर्जा और शक्ति दोनों बड़ी *नेहा* ने कहा कि पहले दिन से ही मैं बड़ा बदलाव महसूस कर रही हूं अधिक जागरूक हुई हूं धैर्य रखकर समस्या पर अवलोकन करने का गुण सीखा है जीवन में जो भी हो रहा है उससे खुद को जोड़ कर देखने लगी हूं अभी तक मैं फालतू प्रश्नों पर चिंतन करती थी पर सत्र के दौरान दिए गए प्रश्न बड़े महत्वपूर्ण हैं *अपूर्वा भारिल्ल* ने कहा कि पहले दिन लगता था कि टाइम कैसे कटेगा पर आप लोगों ने खुद के जीवंत उदाहरण दिए जिस पर मुझे लगा मैं भी अमल कर सकती हूं, कई चीजों पर सुधार की कोशिश शुरू कर दी है, पूरे 5 दिन अधिक सकारात्मक रही, वर्तमान चिंताओं के बावजूद जिन चिंताओं पर अब मैं कुछ नहीं कर सकती हूं उसे भूल जाने की प्रेरणा मिली *सीमा शिल्पकार* ने कहा कि जीवन के हिसाब किताब में सुधार करने का भाव आया है दृष्टिकोण सकारात्मक करने की कोशिश शुरू कर दी है, कई लोगों को माफ कर दिया है, कई लोगों से माफी मांग ली है, छोटी बहन का दिल बहुत दुखाती थी उससे मानसिक क्षमा याचना कर ली, मेरे स्वभाव में अभी आंशिक बदलाव तो आ गया है पर इसे सतत जारी रखूंगी, अंदर के क्रोध को दूर करूंगी, यह मेरे जीवन का शानदार अनुभव है *नर्मदा पांडे* ने कहा कि सत्र के दौरान ही मैंने अपनी ससुराल से संबंध सुधार लिए, पिछले 4 सालों से मैं अपने साले से बात नहीं कर रहा था पर मैंने उससे बातचीत कर अपने रिश्ते सुधार लिए अब निर्णय लेने के पहले विचार करने लगा हूं *नीलू मांडरे* ने कहा की समस्याओं को समाधान के रूप में देखने का तरीका सीखा, सत्र के दौरान दिए गए प्रश्न जीवन में हमेशा काम आएंगे, अब मैं अपने संबंधों को बिगड़ने नहीं दूंगी, समस्या को समाधान के साथ देखूंगी, सकारात्मक सोच रखूंगी *सुनीता शेंडे* ने कहा कि मैं अपने माता पिता को भगवान मानती हूं, सादा जीवन उच्च विचार के साथ फालतू कामों में नहीं उलझती, सोने के पहले रोज अपने संबंध सुधार लेती हूं, 5 दिन की यात्रा बहुत अच्छी लगी है इस दौरान मैंने अपने भतीजे को फोन लगाया, हम बेहोशी में जीते हैं एक जीवित व्यक्ति के लिए सत्र में दिए गए प्रश्न अत्यंत महत्वपूर्ण है आप लोगों के माध्यम से मेरे नजरिए में बहुत बदलाव आया है *कल्पना खंडेलवाल* ने कहा कि उन्होंने आई ओ आई सी के अनेक सत्रों में सहभागिता की है जिससे उन्हें गहरी प्रेरणा प्राप्त हुई है मैं अपने इन विचारों को जीवन में उतारने की कोशिश कर रही हूं, उसी का परिणाम है कि दिवंगत नंदोई मुझसे बहुत नाराज रहते थे अपशब्द कहते थे पर मैं चुपचाप रहती थी पर वह संसार से जाने के पहले मुझ से माफी मांगना चाहते थे ऐसा उन्होंने अपनी ननद से कहा, मैंने सीखा है शांत रहकर ही माफी मांगी जा सकती है और माफ किया जा सकता है *रवि झा* ने कहा कि मैंने आई ओ आई सी के अनेक सत्र ज्वाइन किए हैं मेरे दोस्त मुझसे कहने लगे हैं कि तुम में बहुत बदलाव आ गया है मैंने अपने बहुत सारे साथियों को इस कार्यक्रम से जोड़ा है और यह इतना अच्छा कार्यक्रम है कि मैं और मेरे साथियों में बहुत सारे परिवर्तन हो रहे हैं सत्र दिल के बहुत करीब है खुद को जानने का मौका मिला है *अनुज गौर* ने कहा कि यह लाइफ चेंजिंग सेमिनार था

Share:

Search

Latest Blog


Event Registration Form
Free Event Registration Form
Event Registration Form

Download Now

Download Now

Download Now